एनसीएचआरओ देशद्रोह कानून की निरस्ती को लेकर आशान्वित

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देशद्रोह कानून के निरस्त होने के बारे में एनसीएचआरओ आशान्वित : कहा कि यह भारतीय लोकतंत्र पर एक धब्बा रहा है

दिल्ली – {sarokaar news} – देशद्रोह कानून की आड़ में सरकारें अपने विरोधियों खासकर सरकार के आलोचकों की आवाज़ को दबाने के लिये आईपीसी 124a का बेजा उपयोग करतीं आ रही थी। इससे आमजन के लोकतांत्रिक अधिकारों का खूब उल्लंघन हुआ। सरकार द्वारा राष्ट्रद्रोह के कानून मनमाने उपयोग ने सामाजिक कार्यकर्ता, बुद्धिजीवी वर्ग और मानवाधिकार के लिये संघर्षरत लोगों ने कई बार आशंकाएं व्यक्त किन लेकिन उनकी चिंताओं,आशंकाओं को उतनी तवज्जो नहीं दी गई। अब सुप्रीम कोर्ट ने इस कानून पर फिलहाल रोक लगाकर सामाजिक कार्यकर्ता, बुद्धिजीवी वर्ग और मानवाधिकार के लिये संघर्षरत लोगों की चिंता को सही साबित किया है। मानवाधिकार संगठन नेशनल कंफेडरेशन ह्यूमन राइट्स आर्गेनाइजेशन्स (NCHRO) के अध्यक्ष प्रो ए.मार्क्स ने इसका स्वागत करते हुये कहा है कि —–

देशद्रोह कानून के निरस्त होने के बारे में एनसीएचआरओ आशान्वित : कहा कि यह भारतीय लोकतंत्र पर एक धब्बा रहा है 11 मई 2022 को सुप्रीम कोर्ट ने देशद्रोह के मामलों में सभी कार्यवाही पर रोक लगा दी। जब तक सरकार इसकी समीक्षा नहीं करती, तब तक कानून रुका रहेगा। केंद्र ने पहले इसके खिलाफ तर्क देते हुए कहा था कि इसे केवल कुछ जनहित याचिकाओं (पीआईएल) के आधार पर नहीं रोका जा सकता है।

राजद्रोह कानून की जड़ें औपनिवेशिक भारत में हैं और इस तरह के कानून का लोकतंत्र में कोई स्थान नहीं है। वर्षों से कई कार्यकर्ताओं ने कानून की दमनकारी प्रकृति की ओर इशारा किया था, और इसके खिलाफ बात की थी। यह कानून भारतीय लोकतंत्र पर एक धब्बा रहा है। हालांकि, इस घोषणा से हमारे लोकतंत्र में उम्मीद की एक किरण दिखाई दी है।

मानवाधिकार संगठन नेशनल कंफेडरेशन of ह्यूमन राइट्स आर्गेनाइजेशन्स (NCHRO) इसे एक स्वागत योग्य विकास के रूप में देखता है। हमें लगता है कि यह एक सकारात्मक कदम है और एक आश्वासन है कि हमारा लोकतंत्र अभी भी जीवित है।

ऐसे समय में जब मीडिया में नियमित रूप से प्रतिगामी समाचार सुनने को मिलते हैं, यह घोषणा ताजगी देने वाली खबर है। हमें उम्मीद है कि हम सही दिशा में आगे बढ़ते रहेंगे, और धारा 124(ए) के साथ-साथ यूएपीए, एनएसए आदि जैसे अन्य कानूनों को भी रद्द करेंगे।